Ek Nazar

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Monday, March 29, 2010

भिखारियों ने हिट करा दिया गाना

हिंदी फिल्म संगीत में कल्याणजी आनंदजी का नाम बड़े अदब से लिया जाता है। परचून की दुकान से संगीतकार बनने का सफर वाकई हैरान करता है। संगीत की असीम गहराई में उतरने का भी दिलचस्प वाकया है। कच्छ से बम्बई (अब मुंबई) आए कल्याणजी आनंदजी के परिवार को रोजी रोटी चलाने के लिए परचून की दुकान खोलनी पड़ी। उनके पास एक ग्राहक ऐसा आता थो जो सामान तो हमेशा खरीदता था लेकिन रुपये कभी नहीं दे पाता था। सो उन्हें पैसे के लिए बार-बार तगादा करना पड़ता था। एक दिन ग्राहक ने बचे रुपयों के बदले कल्याणजी और आनंदजी को संगीत की शिक्षा देने का ऑफर दे दिया। बस फिर क्या था दोनों की संगीत की प्रारंभिक शिक्षा शुरू हो गयी।
धीरे-धीरे दोनों भाइयों ने अपना ऑरकेस्ट्रा ग्रुप शुरू कर दिया। कामयाबी मिली तो फिल्मी दुनिया की ओर भी कदम बढ़ा दिए। हेमंत कुमार के सहायक के रूप में कल्याणजी ने अपना करियर शुरू किया। और फिल्म नागिन के लिए क्लेवॉयलिन से बीन की धुन निकाली और पूरे हिंदुस्तान में कल्याणीजी वीरजी शाह मशहूर हो गये। 1959 में उन्हें स्वतंत्र रूप से पहली फिल्म मिली सम्राट चंद्रगुप्त। मजे की बात है कि इस फिल्म में उनके छोटे भाई आनंदजी भी साथ हो लिए और बन गई कल्याण जी आनंदजी की जोड़ी।
बात करते हैं सम्राट चंद्रगुप्त की। फिल्म के मुख्य कलाकार थे भारत भूषण, कृष्णा कुमारी, निरूपमा रॉय और बीएम व्यास। निर्देशक थे बाबूभाई मिस्त्री । इस के गीत को लेकर भी एक मजेदार किस्सा मशहूर है। 'चाहे पास हो चाहे दूर हो....." आज भले ये गाना सुपरहिट गीतों में शुमार होता है, लेकिन अगर कल्याणजी अपनी जिद पर नहीं अड़े होते तो शायद यह गाना आप हम नहीं सुन पा रहे होते।
हुआ यूं कि जब कल्याणजी आनंदजी यह गीत लेकर फिल्म के निर्माता सुभाष देसाई के पास गए तो उन्हें न यह गीत पसंद आया और न ही धुन। पहली ही फिल्म में निर्माता के तेवर देखकर दोनों भाई थोड़ा मायूस तो हुए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कल्याणजी को तभी एक योजना सूझी, उन्होंने देख कि निर्माता के घर के आस-पास भिखारियों का डेरा रहता है। उन्होंने कुछ भिखारियों को पैसा देकर इस गाने की रिहर्सल करवा दी। भिखारियों ने इस गाने को ट्रेन में, बस में और गलियों में गाकर काफी लोकप्रिय कर दिया। फिर क्या था देसाईजी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने फिल्म में इस गाने को रखने की इजाजत दे दी। इस तरह कल्याणजी की युक्ति ने इस गाने बचा लिया और भिखारियों ने इसे रिलीजिंग से पहले ही लोकप्रिय बना दिया। वैसे यह गीत भरत व्यास ने लिखा था।

4 comments:

  1. बहुत उम्दा जानकारी है भाई जी

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  2. बहुत उम्दा जानकारी है|




    "RAM"

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  3. बेहतरीन लेखन है मित्र और विषयाधारित ब्‍लाग होने के कारण अपनी अलग पहचान है। बधाई

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